कोई मित्र किसी मित्र को नहीं पूछेगा । यहां तक की वह अपने बीवी बच्चों भाइयों और खानदानों को भी नहीं
एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से पूछता है । " क्या कोई ऐसा भी समय हो सकता है जब कोई मित्र किसी जिगरी मित्र को नहीं पूछेगा । "कोई व्यक्ति अपने आप को बचाने के लिए अपने बीवी बच्चों भाई और खानदान को भी फिरौती में देने के लिए तैयार हो जाए ? "
" नहीं " दूसरा व्यक्ति जवाब देता है।
"सरसरी निगाह से तो देखने से ऐसा ही लगता है । " पहला व्यक्ति फिर कहता है ।
" तो क्या विचारोंप्रांत इसका उत्तर दूसरा भी हो सकता है ? " दूसरा व्यक्ति उत्सुकता पूर्वक पूछता है।
" हां " पहला व्यक्ति गंभीरता पूर्वक कहता है ।
" तो क्या वह इस तरह बच जाएगा ? " दूसरा व्यक्ति पूछता है।
" नहीं "
गहरी सांस लेते हुए पहला व्यक्ति बोलता है ।
" कितना भयानक वक्त होगा और कितनी दर्दनाक सजा होगी कि उससे बचने के लिए यह सब देने के लिए तैयार हो जाएगा लेकिन फिर भी नहीं बच पाएगा "
ईश्वर अपने अंतिम ग्रंथ में कहते हैं।
कोई मित्र किसी मित्र को न पूछेगा । हालाँकि वे एक-दूसरे को दिखाए जाएँगे। अपराधी चाहेगा कि किसी प्रकार वह उस दिन की यातना से छूटने के लिए अपने बेटों । |
अपनी पत्नी, अपने भाई । और अपने उस परिवार को जो उसको आश्रय देता है । और उन सभी लोगों को जो धरती में रहते हैं, फ़िदया (मुक्ति-प्रतिदान) के रूप में दे डाले फिर वह उसको छुटकारा दिला दे। |
( क़ुरान मजीद , 70:10-14) |