Love is one of Allah's signs. Sign refers to that seeing which one can know Allah/God and reach to Him.
प्यार (Love ) ईश्वर की अहम निशानियों में से एक निशानी है ।
निशानी (अरबी में आयत) उसको कहते हैं जिसे देखकर अल्लाह (ईश्वर ) को पहचानने का और उस तक पहुंचने का रास्ता मालूम हो सके ।
हालांकि आज फिल्म , उपन्यास , गाना ,और सीरियल के प्रभाव के कारण यह शब्द को निम्न कोटि का समझा जाता है । इस शब्द के प्रयोग से शर्म महसूस होती है । क्योंकि प्यार के कई स्तरों में से जो सब से निचला स्तर होता है वही हमारे दिमाग में होता है और उसी को आमतौर पर प्यार समझा जाता है ।
क़ुरआन में अल्लाह ने पति पत्नी के बीच तीन तत्व का उल्लेख किया है । तस्कीन , मुवद्दत (रोगबत / मुहब्बत) और रहमत ।
Reference (सूरह रोम - 21)
इस के आधार पर प्यार को तीन स्तर (level) में रखा जा सकता है ।
1. आत्मिक प्यार ( Spritual Love) यह प्यार का सबसे ऊंचा स्तर है।
2 करुणामय प्यार (Compassionate Love ) यह प्यार का मध्य स्तर है ।
3. कामुक प्यार ( Passionate Love ) यह प्यार का सब से निचला स्तर है ।
पति और पत्नी के मध्य सबसे पहले शुरुआती प्यार Passionate Love होता है । इस में biological connectivity होती है । इसमें Biological element of love पाया जाता है।
इस (level) से ऊपर जो प्यार होता है उसमे अपनापन ( intimacy ) होती है । दोनों एक दूसरे के साथी (companion )बन जाते हैं । जिसे compassionate love कहा जाता है । दोनों एक दूसरे का ख्याल रखते हैं । इस में Emotional element of love पाया जाता है ।
सबसे ऊंचा level का प्यार वह होता है जिसमें पति पत्नी एक दूसरे के लिए रहमत साबित होते हैं । पति के अंदर यह जज्बा हो कि उस से उसकी बीवी को फायदा पहुंचे और बीवी के अंदर यह जज्बा पैदा हो जाए कि उस से उसके पति को फायदा पहुंचे । एक दूसरे के लिए committed होते हैं । इस में spiritual element of love पाया जाता है ।
इसे और बेहतर ढंग से समझें....... नीचे के vide में ।
S.Ameenulhasan vice president of JIH describing three elements of marriage life. (Three elements/level of Love)👇